मंडी में पेयजल संकट, ब्यास और ऊहल योजनाओं में गाद बनी मुसीबत

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ब्यास नदी के किनारे बसी छोटी काशी में रहने वाले 42 हजार लोग भरी बरसात में प्यासे हैं। मंडी को पानी उपलब्ध करवाने वाली ब्यास नदी के किनारे पड्डल में बनी पेयजल योजना को गाद ने घेर रखा है और 85 करोड़ खर्च कर बनाई गई ऊहल पेयजल योजना भी हांफ गई है।

छोटी काशी (मंडी) में गहराया जल संकट

मंडी, जिसे छोटी काशी के नाम से जाना जाता है, वहाँ के 42 हजार लोग इस भारी बरसात के मौसम में भी पानी की कमी से जूझ रहे हैं। शहर को पानी की आपूर्ति करने वाली दो प्रमुख योजनाएँ, ब्यास पेयजल योजना और ऊहल पेयजल योजना, बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। ब्यास योजना गाद से भर गई है, जबकि 85 करोड़ रुपये की लागत से बनी ऊहल योजना भी ठप पड़ गई है।

ठप पड़ी 78 पेयजल योजनाएं

मंडी जिले में कुल 78 पेयजल योजनाएं एक महीने से ठप पड़ी हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 17 योजनाएं थुनाग डिवीजन की हैं। इसके अलावा, करसोग, सुंदरनगर, बग्गी, पद्धर और धर्मपुर में भी कई योजनाएं बंद पड़ी हैं। मंडी शहर को पिछले तीन दिनों से पानी नहीं मिल रहा है, और अगले दो दिनों तक स्थिति सामान्य होने की संभावना कम है। लोग मजबूरी में प्राकृतिक जल स्रोतों (चश्मों) पर निर्भर हैं।

85 करोड़ की ऊहल योजना पर सवाल

कुछ साल पहले 85 करोड़ रुपये की लागत से बनी ऊहल पेयजल योजना शहर को 24 घंटे पानी उपलब्ध कराने का दावा करती थी, लेकिन यह दावा विफल हो गया है। सदर विधायक अनिल शर्मा ने आरोप लगाया है कि इस योजना को विभागीय अधिकारियों की लापरवाही ने बर्बाद कर दिया है। उन्होंने कहा कि नगर निगम मंडी ने मरम्मत के लिए तीन करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन फिर भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।

छड्डी खड्ड योजना की बहाली की मांग

सराज में 121 करोड़ की छड्डी खड्ड पेयजल योजना भी आपदा से प्रभावित हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री और विधायक जयराम ठाकुर ने इसकी बहाली के लिए दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल से फरियाद लगाई है। हालाँकि, अधिशासी अभियंता संदीप शर्मा के अनुसार, योजना को पूरी तरह से बहाल नहीं किया गया है, लेकिन लोगों को ग्रेविटी सिस्टम से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।

पानी की जरूरत और वर्तमान स्थिति

मंडी शहर को हर दिन एक करोड़ लीटर पानी की जरूरत होती है। दोनों प्रमुख योजनाओं के ठप होने से शहर में पानी का गंभीर संकट पैदा हो गया है। जलशक्ति विभाग के एसडीओ रोहित गुप्ता ने बताया कि ब्यास योजना गाद की चपेट में है और ऊहल योजना की पाइपें कई जगह से टूट गई हैं, जिसकी मरम्मत में 48 घंटे तक का समय लग सकता है।

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