फोरेस्ट आफिसर से भिड़ गया खनन माफिया, वन विभाग की कार्रवाई पर माफिया ने दे डाली खुली चुनौती औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ में खनन माफिया नदी-नालों का सीना ही छलनी नहीं कर रहा, बल्कि कानून की आंखों में आंखें डालकर चुनौती भी दे रहा है। वन विभाग के हटड़ा बीट में गत बुधवार रात यही हुआ।
हिमाचल के वीर लेफ्टिनेंट कर्नल भानु प्रताप सिंह मनकोटिया
लद्दाख में एक दुखद हादसे में, सेना के वाहन पर पत्थर गिरने से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के सपूत, लेफ्टिनेंट कर्नल भानु प्रताप सिंह मनकोटिया शहीद हो गए। यह घटना बेहद दुखद है और पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। इस हादसे में एक अन्य सैनिक, लांस दफादार, भी बलिदान हुए और तीन अधिकारी घायल हो गए।
सैन्य विरासत और अटूट संबंध
लेफ्टिनेंट कर्नल भानु प्रताप सिंह मनकोटिया का परिवार एक गौरवशाली सैन्य परंपरा से आता है। उनके दादा, सूबेदार उधम सिंह, और पिता, कर्नल (सेवानिवृत्त) रमन पाल सिंह मनकोटिया, दोनों ने भारतीय सेना में सेवा की। हालाँकि यह परिवार वर्षों से पंजाब के पठानकोट में settled था, लेकिन उनका अपनी जड़ों से गहरा लगाव था। वे हर साल जून में अपने पैतृक गांव, कांगड़ा के तियारा, आते थे।
गांव और परिवार से unbreakable bond
भानु प्रताप सिंह मनकोटिया का जन्म और शिक्षा पठानकोट में हुई, लेकिन उन्होंने अपनी culture और roots को कभी नहीं भुलाया। इसी साल जून में, वह अपने परिवार के साथ तियारा आए थे, जहाँ उन्होंने खेती-बाड़ी का मुआयना किया और रिश्तेदारों से मिले। उनके परिवार में उनके माता-पिता, पत्नी और एक डेढ़ साल का बेटा है। उनके बलिदान की खबर सुनते ही पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। लोगों को विश्वास नहीं हो रहा कि जो व्यक्ति कुछ महीने पहले उनसे मिलकर गया था, वह अब इस दुनिया में नहीं है। उनका यह dedication और family values सभी के लिए प्रेरणा है।