उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध शक्तिपीठ माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर में श्रावण अष्टमी मेले का आगाज हो गया है। श्रावण अष्टमी मेला 25 जुलाई से 3 अगस्त तक चलेगा। इसे लेकर मंदिर को रंग बिरंगी लाइटस व रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया है।
हिमाचल के ऊना ज़िले में स्थित मां चिंतपूर्णी मंदिर में श्रावण अष्टमी मेले की शुरुआत हो गई है। 3 अगस्त तक चलने वाले इस पर्व में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है। मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों से भव्य रूप से सजाया गया है।
श्रावण अष्टमी मेले का भव्य शुभारंभ
उत्तर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक, मां श्री चिंतपूर्णी मंदिर में श्रावण अष्टमी मेले का शुभारंभ हो गया है। यह पावन मेला 25 जुलाई से 3 अगस्त 2024 तक चलेगा। आस्था, भक्ति और उल्लास के इस पर्व में देशभर से हजारों श्रद्धालु मां के दरबार में पहुंच रहे हैं।
मंदिर की भव्य सजावट ने खींचा ध्यान
मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी लाइटों और ताजे फूलों से भव्य रूप से सजाया गया है, जिससे इसकी शोभा और भी निखर उठी है। श्रद्धालु इस मनमोहक दृश्य को अपने मोबाइल कैमरों में कैद करते नजर आए, जिससे सोशल मीडिया पर भी इसकी झलक दिखाई दे रही है।
प्रशासन ने किए पुख्ता इंतजाम
श्रावण अष्टमी मेले के दौरान पूरे मेला क्षेत्र को 10 सेक्टरों में विभाजित किया गया है। CCTV कैमरों और तीसरी आंख (Surveillance Systems) की निगरानी में मंदिर परिसर रहेगा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर के कपाट 24 घंटे खुले रहेंगे, ताकि दर्शन में किसी प्रकार की बाधा न हो।
प्रशासनिक नियुक्तियाँ इस प्रकार की गई हैं:
- एडीसी ऊना – मुख्य मेला अधिकारी
- एसडीएम अंब – सहायक मेला अधिकारी
- एएसपी ऊना – पुलिस मेला अधिकारी
- डीएसपी अंब – सहायक पुलिस मेला अधिकारी
ढोल-नगाड़े, प्लास्टिक व थर्मोकोल पर रोक
मेला परिसर में ढोल, नगाड़े, चिमटा, लाउडस्पीकर आदि बजाने पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है। साथ ही प्लास्टिक और थर्मोकोल के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे पर्यावरण की रक्षा की जा सके।
मालवाहक वाहनों और लंगर व्यवस्था पर दिशा-निर्देश
मालवाहक वाहनों के माध्यम से माता चिंतपूर्णी मंदिर तक आने की पूर्ण मनाही है। इसके अलावा, लंगर आयोजन के लिए पूर्व अनुमति अनिवार्य की गई है और आयोजकों को स्वच्छता सुनिश्चित करनी होगी।
खाद्य निरीक्षण और स्वास्थ्य सुरक्षा
DFSC ऊना (District Food and Supplies Controller) की टीम मेला अवधि में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता का नियमित निरीक्षण करेगी, जिससे भोजन की शुद्धता और स्वच्छता सुनिश्चित हो सके।
श्रद्धा और व्यवस्था का संतुलन
श्रावण अष्टमी मेला न केवल आस्था का पर्व है, बल्कि यह प्रशासन और श्रद्धालुओं के बीच सहयोग और अनुशासन का प्रतीक भी बनता जा रहा है। भव्य सजावट, मजबूत सुरक्षा और सुव्यवस्थित दर्शन-व्यवस्था ने इस मेले को खास बना दिया है।