सरकार ने स्कूल शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए आदेश जारी किया है कि अब स्कूल लेक्चरर छठी कक्षा से ही पढ़ाएंगे। यह नियम तुरंत प्रभाव से लागू होगा और सभी शिक्षकों को सख्ती से पालन करना होगा।
अब छठी से दसवीं तक भी पढ़ाएंगे स्कूल प्रवक्ता
हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग ने school lecturers (प्रवक्ताओं) को लेकर एक बड़ा बदलाव किया है। अब उन्हें केवल कक्षा 11 और 12 तक सीमित न रखते हुए, कक्षा 6 से 10 तक भी पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जाएगी। शिक्षा निदेशालय ने सभी senior secondary schools को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।
नियुक्ति नियमों और शिक्षा कोड का हवाला
शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि यह फैसला recruitment and promotion (R&P) rules और शिक्षा कोड के अनुरूप है। इन नियमों के अनुसार, लेक्चरर (स्कूल न्यू) को postgraduate subjects के साथ-साथ graduate-level subjects भी पढ़ाने का अधिकार है। यह स्पष्ट किया गया कि कई स्कूलों में लेक्चरर्स को केवल Class 11–12 की क्लासेस तक सीमित कर दिया जाता है, जो कि नियमों के खिलाफ है।
प्रधानाचार्य को दी गई शैक्षणिक जिम्मेदारी
Education Code के अनुसार, स्कूल के Principal को यह अधिकार है कि वह संस्थान की जरूरतों के अनुसार शिक्षण कार्य सौंपे। ऐसे में लेक्चरर्स को junior classes में पढ़ाना न केवल administratively valid है बल्कि यह स्कूल की academic requirements को भी पूरा करता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप कदम
यह निर्णय National Education Policy (NEP) 2020 की भावना के अनुरूप है, जिसमें flexibility, resource integration और subject specialization के प्रभावी उपयोग की बात कही गई है। शिक्षा निदेशालय ने कहा है कि इससे स्कूलों में learning outcomes बेहतर होंगे और छात्रों को सभी स्तरों पर equal opportunities मिलेंगी।
नियमों की सख्ती से पालना जरूरी
निदेशालय ने सभी स्कूलों को आदेश दिए हैं कि वे इन प्रावधानों को actively implement करें और शिक्षण कार्यों में unnecessary fragmentation से बचें। बिना किसी valid reason के यदि कोई स्कूल इन निर्देशों से deviate करता है, तो उस पर administrative action लिया जाएगा।
जिलों के उपनिदेशकों को भेजे गए आदेश
स्कूल शिक्षा निदेशक ने यह आदेश written form में प्रदेश के सभी Deputy Directors को भेज दिए हैं। इसके तहत सभी स्कूलों को immediate effect से निर्देशों की strict compliance करनी होगी, ताकि academic equity सुनिश्चित की जा सके।
स्कूल प्रवक्ताओं ने किया विरोध
इस निर्णय का School Lecturers Association ने कड़ा विरोध किया है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अजय नेगी और अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि लेक्चरर्स की नियुक्ति specific subjects के लिए हुई है और वर्षों से वे उन्हीं विषयों को पढ़ा रहे हैं। ऐसे में उन्हें junior classes पढ़ाना unfair है।
मुख्यमंत्री से करेंगे मुलाकात
लेक्चरर संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर एक delegation जल्द ही मुख्यमंत्री से official meeting करेगा। उनका कहना है कि इस तरह का फैसला academic efficiency को प्रभावित कर सकता है और शिक्षकों की subject expertise का सही उपयोग नहीं हो पाएगा।