मंडी त्रासदी में एसडीआरएफ जवान बने देवदूत, 30 किलोमीटर पैदल सफर कर लोगों तक पहुंचाया राशन-दवाइयां सूट-बूट में नजर आने वाले अधिकारियों के लिए विपरीत परिस्थितियों में साहबगिरी आसान नहीं होती है। सराज त्रासदी में जब लोगों पर विपत्ति आई, तो मंडी से लेकर शिमला तक के साहबों को पगडंडियां नापनी पड़ गई।
सूट-बूट वाले अफसरों को भी पगडंडियों पर उतरना पड़ा
सराज त्रासदी में जब आपदा का मंजर भयावह हो गया, तो मंडी से लेकर शिमला तक के अधिकारियों को भी जमीन पर उतरकर काम करना पड़ा। विपरीत परिस्थितियों में ‘साहबगिरी’ निभाना आसान नहीं रहा।
एसपी अर्जित सेन ने खुद संभाली कमान
एसडीआरएफ के एसपी अर्जित सेन को 30 जून की रात आपदा की सूचना मिली। उन्होंने तुरंत राहत टीमें गठित कीं और दो जुलाई को स्वयं टीम लेकर शिमला से थुनाग के लिए रवाना हो गए।
बंद सड़कों के बीच पीठ पर उठाया राशन-दवा
थुनाग से आगे सड़कों के टूटने और मार्ग बंद होने के चलते, एसपी सेन ने आदेश दिया – “राशन और दवाइयां पीठ पर उठाओ और चलो।” टीम भराड़ा गांव तक 30 किमी पैदल राहत लेकर पहुंची।
प्रभावितों के लिए देवदूत साबित हुए जवान
एसपी की अगुवाई में एसडीआरएफ के जवान 30–35 किलोमीटर पैदल चलकर जब प्रभावित गांवों में पहुंचे, तो वहां के लोगों के लिए वे किसी देवदूत से कम नहीं थे।
डीसी और एसपी ने खुद खोली राहत की राहें
30 जून की रात को ही मंडी के डीसी अपूर्व देवगन और एसपी साक्षी वर्मा राहत कार्यों के लिए रवाना हो गए। रास्ते में सड़कों को खुलवाया और कई किलोमीटर पैदल चलकर प्रभावितों तक पहुंचे।
पुनर्वास ही प्राथमिकता: डीसी व एसपी
डीसी (DC)देवगन और एसपी SP वर्मा ने कहा कि आपदा के बाद राहत और अब पुनर्वास ही उनकी प्राथमिक प्राथमिकता है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को भी पूरी तरह से सक्रिय किया हुआ है।
तहसीलदार ने JCB के पंजे में पार की उफनती खड्ड
तेज बारिश(heavy rain)और उफनती नदी-नालों के बीच तहसीलदार रजत सेठी जेसीबी(JBC) के पंजे में बैठकर खड्ड पार करते हुए कार्यालय पहुंचे। सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें वे काम के प्रति अपनी निष्ठा दिखाते हैं।