मंडी जिले के सैंज में बादल फटने के बाद भारी मात्रा में बहकर आई लकड़ी को प्रशासन ने बचाने की बजाय पानी में बह जाने दिया। ग्रामीणों ने प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठाए हैं।
कुल्लू जिले की सैंज घाटी में हाल ही में हुई बादल फटने की घटना के बाद भारी मात्रा में लकड़ी बहकर पंडोह डैम में जा पहुंची। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि वन विभाग ने इस कीमती लकड़ी की निकासी के लिए कोई प्रयास नहीं किया। इसके बजाय डैम के गेट खोलकर बीबीएमबी ने इसे ब्यास नदी में बहा दिया।
डैम की सुरक्षा के नाम पर बहाई गई लाखों की लकड़ी
पंडोह डैम में लकड़ी का अचानक इतना अधिक मात्रा में पहुंचना बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) के अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बन गया। डैम की सुरक्षा के मद्देनज़र उन्होंने गेट खोल दिए, जिससे डैम में जमा सारी लकड़ी सीधे ब्यास नदी में बह गई।
वन विभाग ने बताया ‘वेस्ट लकड़ी’, अवैध कटान से किया इनकार
वन विभाग के उच्च अधिकारियों का दावा है कि डैम में आई सारी लकड़ी केवल वेस्ट लकड़ी थी और इसमें किसी प्रकार के अवैध कटान के प्रमाण नहीं मिले हैं। वहीं कांग्रेस विधायक कुलदीप राठौर और अब भाजपा नेताओं ने भी इस पूरे मामले की जांच की मांग की है।
बीबीएमबी अधिकारी चुप्पी साधे, जिम्मेदारी टाली
जब इस मामले पर बीबीएमबी अधिकारियों से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने स्पष्ट कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। अधिकारियों ने सिर्फ यह कहकर बात टाल दी कि इस पर टिप्पणी करने का अधिकार केवल बीबीएमबी के चेयरमैन या चीफ के पास है।
पर्यावरण मंच ने उठाए सवाल, जांच की मांग
देवभूमि पर्यावरण संरक्षक मंच मंडी के अध्यक्ष नरेंद्र सैनी ने पंडोह डैम में एकत्रित लकड़ी को लेकर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इतनी भारी मात्रा में लकड़ी का बहकर आना इस बात की ओर इशारा करता है कि जंगलों में बड़े स्तर पर अवैध कटान हुआ है। उन्होंने कहा कि 2023 में भी इसी तरह लकड़ी डैम में आई थी लेकिन उसका आज तक कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। उन्होंने उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।