हिमाचल में पिछले 50 वर्षों से विस्थापन का दंश झेल रहे परिवारों को अब राहत मिलने की उम्मीद जगी है। सरकार ने पुनर्वास योजना को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
राजस्थान सरकार ने पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे इन परिवारों को जल्द ही भूमि आबंटित करने की प्रक्रिया शुरू करने को हरी झंडी दे दी है। राजस्थान सरकार ने हाल ही में उन पौंग बांध विस्थापितों को आबंटित की जाने वाली भूमि की पहचान की है, जो पहले किसी कारणवश आबंटन प्रक्रिया से बाहर रह गए थे।
विस्थापितों को मिली राहत की उम्मीद
पौंग बांध के कारण displaced हुए हजारों परिवारों के लिए दशकों बाद hope की किरण दिखाई दी है। Himachal Pradesh के इन प्रभावितों के लिए राजस्थान सरकार ने आखिरकार पुनर्वास प्रक्रिया में तेजी लाते हुए land allotment की हरी झंडी दे दी है। जो परिवार पहले किसी कारणवश इस प्रक्रिया से वंचित रह गए थे, उनके लिए अब resettlement की प्रक्रिया शुरू होने वाली है।
हिमाचल और राजस्थान सरकार की साझा कोशिशें रंग लाईं
कांगड़ा के Deputy Commissioner Hemraj Bairwa ने जानकारी दी कि joint efforts के बाद राजस्थान सरकार ने उन केसों पर भी दोबारा विचार किया है, जहां legal or procedural delays के कारण जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाया था। यह फैसला उन हजारों beneficiaries के लिए राहत की सांस है, जो 50 वर्षों से rehabilitation की उम्मीद लगाए बैठे थे।
ground verification के लिए हुई संयुक्त टीम की विज़िट
सुनिश्चित करने के लिए कि पूरी प्रक्रिया transparent और smooth रहे, राजस्थान और हिमाचल सरकार की एक joint inspection team ने हाल ही में चिन्हित की गई जमीन का दौरा किया। इस विज़िट से allotment को लेकर आने वाली दिक्कतों को on-site सुलझाने में मदद मिलेगी।
allotment process में आया तेज़ी का मोड़
बीते कुछ महीनों में राजस्थान सरकार ने करीब 250 families को ज़मीन के patta (ownership deeds) जारी किए हैं। पिछले वर्ष भी 50 से अधिक land allotments किए गए थे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अब प्रक्रिया में काफी तेज़ी आई है। सरकार शुरुआत में 45 दिन की समयसीमा तय की थी जिसे अब बढ़ाकर 180 days कर दिया गया है।
Rajasthan Colonization Rules के तहत हो रहा allotment
यह पूरी प्रक्रिया Rajasthan Colonization (Allotment of Government Land to Pong Dam Oustees in Rajasthan Canal Colony) Rules, 1972 के अंतर्गत की जा रही है। यह नियम गंगानगर, बीकानेर और जैसलमेर ज़िलों में irrigated land के allotment को मान्यता देते हैं। वर्तमान में 16,352 में से लगभग 3,000 परिवार अब भी waiting list में हैं।
decades old pain now turning into justice
Deputy Commissioner Bairwa ने कहा कि यह कदम justice delayed but not denied का एक सटीक उदाहरण है। दशकों तक प्रतीक्षा कर रहे इन affected families को आखिरकार relief and recognition मिल रही है। यह पूरे हिमाचल के लिए एक milestone moment है।