मुख्यमंत्री सुक्खू ने पुलिस भर्ती में ‘चिट्टा’ टेस्ट को अनिवार्य किया है। इसके साथ ही हर जिले में नशा मुक्ति केंद्र खोलने का भी फैसला लिया गया है।
मंत्रिमंडल की बैठक और मुख्यमंत्री का बयान:
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदेश में नशे के खिलाफ चल रहे अभियानों की गहन समीक्षा की गई। पुलिस, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, और स्वास्थ्य विभागों ने इस विषय पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार नशे के प्रति ‘शून्य सहिष्णुता नीति’ (Zero Tolerance Policy) अपना रही है और नशा तस्करी के नेटवर्क को खत्म करने के लिए सभी विभागों को मिलकर समन्वित कार्रवाई करनी होगी।
पुलिस भर्ती और सरकारी कर्मचारियों के लिए नए दिशा-निर्देश:
बैठक में निर्णय लिया गया कि अब पुलिस भर्ती में ‘चिट्टा’ (सिंथेटिक ड्रग) के लिए डोप टेस्ट अनिवार्य होगा। साथ ही, सभी नए सरकारी कर्मचारियों को यह शपथ पत्र देना होगा कि वे चिट्टा का सेवन नहीं करते हैं। मुख्यमंत्री ने नशे से जुड़े मामलों में संलिप्त सरकारी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए।
नशा-रोधी कार्रवाई के आँकड़े और उपलब्धियाँ:
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में ड्रग्स से संबंधित स्थिति नियंत्रण में है। एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामले कुल मामलों का केवल 9 प्रतिशत हैं, जबकि पड़ोसी राज्य पंजाब में यह आंकड़ा 20 प्रतिशत है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अब तक 45 नशा-सम्बंधी मामले दर्ज किए गए हैं और 42.22 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है, जो पिछले वर्षों की तुलना में दोगुना है। इसके अलावा, पीआईटी-एनडीपीएस एक्ट के तहत 44 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
जनजागरूकता और पुनर्वास के प्रयास:
स्वास्थ्य विभाग को नशा मुक्ति हेतु प्रशिक्षण, जनजागरूकता, इलाज, परामर्श और पुनर्वास की गतिविधियों को और अधिक प्रभावी बनाने के निर्देश दिए गए हैं। वर्तमान में कुल्लू, हमीरपुर, नूरपुर और ऊना में पुनर्वास केंद्र संचालित हो रहे हैं। अब सभी जिलों में ऐसे केंद्र खोलने के लिए 14.95 करोड़ रुपये की राज्य परियोजना शुरू की जा रही है। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने महिला मंडलों, युवक मंडलों, पंचायत संस्थाओं, नागरिक समाज संगठनों और शिक्षा विभाग को नशे के खिलाफ जनजागरूकता अभियान में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।