लाहौल और स्पीति जिले के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग-3 (NH-3), जिसे लोकप्रिय रूप से मनाली-लेह मार्ग के नाम से जाना जाता है, केवल एक सड़क नहीं, बल्कि इस दुर्गम क्षेत्र की जीवनरेखा है। यह राजमार्ग घाटी को बाहरी दुनिया से जोड़ता है, विशेषकर मनाली और कुल्लू घाटी से, जो आपूर्ति, पर्यटन और आपातकालीन सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, मानसून के मौसम में यह राजमार्ग अक्सर भूस्खलन (landslides), अचानक बाढ़ (flash floods) और पहाड़ी से पत्थर गिरने (rockfalls) जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण अवरुद्ध हो जाता है, जिससे आवाजाही ठप पड़ जाती है।
मौजूदा स्थिति (आज, 23 जुलाई 2025):
आज भी, NH-3 के कुछ हिस्सों में हल्के अवरोध देखे गए हैं। ये अवरोध आमतौर पर पिछली रात हुई बारिश या सुबह के समय पहाड़ी से गिरे मलबे के कारण होते हैं। हालांकि ये बड़े अवरोध नहीं हैं, लेकिन ये यातायात को धीमा कर देते हैं और यात्रियों के लिए असुविधा पैदा करते हैं।
संवेदनशील स्थान (Sensitive Spots):
NH-3 पर कुछ स्थान ऐसे हैं जो मानसून के दौरान विशेष रूप से संवेदनशील हो जाते हैं और अक्सर अवरुद्ध होते हैं। इनमें से दो प्रमुख स्थान हैं:
- पागल नाला (Pagla Nala): यह मनाली से लाहौल घाटी की ओर जाते हुए एक ऐसा बिंदु है जहाँ पहाड़ी से लगातार पानी और मलबा आता रहता है। थोड़ी सी भी भारी बारिश इसे एक उफनते नाले में बदल देती है, जिससे सड़क पर कीचड़ और पत्थर आ जाते हैं।
- तेलिंग नाला (Teling Nala): यह भी मनाली-लेह मार्ग पर एक और कुख्यात स्थान है जहाँ भूस्खलन और पानी का बहाव सड़क को बार-बार बाधित करता है।
इन दोनों नालों पर सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation – BRO) की टीमें लगातार नज़र रखती हैं।
BRO की महत्वपूर्ण भूमिका (Crucial Role of BRO):
BRO इस राजमार्ग को खुला रखने में एक अहम भूमिका निभाता है। उनकी टीमें 24×7 अलर्ट पर रहती हैं और भारी मशीनरी (जैसे जेसीबी, बुलडोजर) के साथ तैनात रहती हैं। जैसे ही कोई अवरोध होता है, BRO के जवान तुरंत उसे हटाने और सड़क को यातायात के लिए बहाल करने का काम शुरू कर देते हैं। उनकी त्वरित प्रतिक्रिया ही सुनिश्चित करती है कि लाहौल घाटी की कनेक्टिविटी बनी रहे।
यातायात और यात्रियों पर प्रभाव (Impact on Traffic and Commuters):
इन लगातार अवरोधों का सीधा असर स्थानीय लोगों और पर्यटकों पर पड़ रहा है। यात्रियों को सड़कों पर घंटों इंतजार करना पड़ रहा है, जिससे यात्रा कार्यक्रम बाधित हो रहे हैं। सुरक्षा के लिहाज़ से भी यह चिंता का विषय है, क्योंकि भूस्खलन वाले इलाकों से गुजरना जोखिम भरा हो सकता है। पर्यटन उद्योग को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि पर्यटक खराब मौसम और अनिश्चितता के चलते यात्रा टाल रहे हैं।
- विलंब: अवरोधों के कारण अक्सर घंटों तक यातायात रुका रहता है, जिससे यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।
- सुरक्षा जोखिम: भूस्खलन वाले क्षेत्रों से गुजरना हमेशा जोखिम भरा होता है, खासकर खराब मौसम में।
- आपूर्ति श्रृंखला: लगातार अवरोधों से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला भी प्रभावित हो सकती है, जिससे स्थानीय लोगों के लिए दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
- पर्यटन पर असर: पर्यटक अक्सर ऐसे समय में यात्रा करने से बचते हैं, जिससे स्थानीय पर्यटन उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
प्रशासन की सलाह:
जिला प्रशासन ने सभी यात्रियों, विशेषकर पर्यटकों को सलाह दी है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और नवीनतम सड़क स्थिति की जानकारी के लिए BRO या स्थानीय पुलिस से संपर्क करने के बाद ही अपनी यात्रा शुरू करें। रात के समय यात्रा से बचने की विशेष हिदायत दी गई है।
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