हिमाचल की पहली महिला कांवड़ यात्री बनीं कृतिका, गोमुख से सुंदरनगर तक 750 KM की पदयात्रा

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हिमाचल की पहली महिला कांवड़ यात्री बनीं कृतिका, गोमुख से सुंदरनगर तक 750 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी आस्था, साहस और संकल्प का अद्भुत संगम बनकर उभरी सुंदरनगर उपमंडल की ग्राम पंचायत कपाही देरड़ू गांव की कृतिका ठाकुर, जो हिमाचल प्रदेश की पहली महिला कांवड़ यात्री बनने का गौरव हासिल कर चुकी हैं।

हिमाचल की कृतिका बनीं पहली महिला कांवड़ यात्री, जिन्होंने गोमुख से लेकर सुंदरनगर तक 750 किलोमीटर की कठिन पदयात्रा पूरी की। श्रद्धा, साहस और संकल्प की मिसाल।

हिमाचल की पहली महिला कांवड़ यात्री बनीं कृतिका ठाकुर

आस्था, साहस और संकल्प की प्रतीक बनकर उभरीं सुंदरनगर उपमंडल की ग्राम पंचायत कपाही देरड़ू की कृतिका ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश की पहली महिला कांवड़ यात्री बनने का इतिहास रच दिया है। भोलेनाथ के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा का परिचय देते हुए उन्होंने इस बार गोमुख से सुंदरनगर तक की 750 किलोमीटर की कठिन पदयात्रा सफलतापूर्वक पूरी की है। इससे पहले वे हरिद्वार से सुंदरनगर तक भी कांवड़ यात्रा कर चुकी हैं। सावन माह में महादेव की भक्ति में लीन होकर किया गया यह संकल्प पूरे प्रदेश के लिए गौरव का विषय बन गया है।

परिवार से मिली प्रेरणा, पूरे गांव ने बढ़ाया हौंसला

कृतिका बताती हैं कि इस यात्रा की प्रेरणा उन्हें अपने पिता राजेंद्र कुमार, ताया, चाचा और अन्य पुरुष स्वजनों से मिली। परिवार ने न केवल उनके निर्णय का समर्थन किया, बल्कि उन्हें पूरे उत्साह के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी किया। इस बार की यात्रा में भी वे अपने पिता और गांव के अन्य कांवड़ियों के साथ गोमुख से पवित्र जल लेकर रवाना हुईं।

खेल और आस्था का मिला संगम

एमएलएसएम कॉलेज सुंदरनगर में बीपीएड तृतीय सेमेस्टर की छात्रा कृतिका ठाकुर एक प्रतिभाशाली बॉक्सिंग खिलाड़ी भी हैं। खेल और भक्ति का यह अनूठा मेल उनकी बहुआयामी प्रतिभा को दर्शाता है। 22 जुलाई को उन्होंने अपने गांव के ओंकारेश्वर मंदिर में गंगाजल से भोलेनाथ का अभिषेक किया, जिसका साक्षी बना पूरा गांव।

 नारी शक्ति का उदाहरण, धार्मिक इतिहास में जोड़ा नया अध्याय

कृतिका की यह प्रेरणादायक पहल न केवल महिलाओं को धार्मिक यात्राओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, बल्कि हिमाचल प्रदेश के धार्मिक इतिहास में भी एक नया अध्याय जोड़ रही है। उनके साहस, भक्ति और संकल्प ने हिमाचल को एक नई पहचान दी है।

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