कांगड़ा जिले में चल रहे फोर-लेन Highway Construction ने स्थानीय निवासियों के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। लगातार हो रही भारी बारिश के कारण, भूस्खलन (Landslides) का खतरा कई गुना बढ़ गया है, जिससे कई गाँवों में लोग डर और असुरक्षा (Fear and Insecurity) के माहौल में जी रहे हैं।
फोर-लेन निर्माण और बढ़ता खतरा
National Highway Expansion प्रोजेक्ट के तहत सड़कों के चौड़ीकरण का काम जारी है। इस निर्माण कार्य के चलते पहाड़ों और पहाड़ियों को काटा जा रहा है, जिससे मिट्टी और पत्थरों का संतुलन बिगड़ गया है। Monsoon Season में होने वाली भारी बारिश ने इस स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
घरों में दरारें और जनजीवन अस्त-व्यस्त
कांगड़ा के कई गाँवों में, जैसे कि मटौर (Mataur) और आसपास के इलाकों में, भूस्खलन के कारण लोगों के घरों में बड़ी-बड़ी दरारें (Cracks in Houses) आ गई हैं। लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हो रहे हैं। यह स्थिति उनके दैनिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है और उन्हें बेघर (Homeless) होने का डर सता रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन और निर्माण एजेंसियों की उदासीनता (Indifference) के कारण उनकी समस्याएँ बढ़ रही हैं।
प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
प्रभावित गाँवों के निवासी लगातार प्रशासन (Administration) से मदद की गुहार लगा रहे हैं। उनका आरोप है कि फोर-लेन बनाने वाली कंपनी पर्यावरण नियमों (Environmental Norms) का उल्लंघन कर रही है और सुरक्षा उपायों (Safety Measures) पर ध्यान नहीं दे रही है। लोगों ने विरोध प्रदर्शन (Protests) भी किए हैं और मांग की है कि उन्हें सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाए और उनके नुकसान की भरपाई की जाए।
भविष्य की चिंताएँ और समाधान की आवश्यकता
यदि इस समस्या पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में बड़ी आपदा (Major Disaster) का खतरा बढ़ सकता है। सरकार और संबंधित अधिकारियों को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। वैज्ञानिक तरीकों (Scientific Methods) से भूस्खलन की रोकथाम और प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास योजना (Rehabilitation Plan) पर काम करना आवश्यक है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें केवल आश्वासन (Assurances) नहीं, बल्कि ठोस कार्यवाही (Action) चाहिए।