हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार बारिश, भूस्खलन और बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। अब तक 106 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 35 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। मंगलवार को कुछ लापता लोगों के शव बरामद होने से मृतकों की संख्या में और इजाफा हुआ है।
बुनियादी ढांचे को 1,000 करोड़ से अधिक का नुकसान
पिछले 26 दिनों में राज्य में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। 257 मुख्य सड़कें प्रभावित, 15 पुल बह गए और कई राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हैं। सबसे अधिक असर एनएच-3, एनएच-5 और एनएच-505 पर पड़ा है, जिनकी मरम्मत का कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
नाथपा झाकड़ी बांध से छोड़ा गया अतिरिक्त पानी, सतर्कता अलर्ट
बुधवार को स्थिति और गंभीर हो गई जब एसजेवीएनएल ने 1500 मेगावाट क्षमता वाले नाथपा झाकड़ी बांध के फ्लड गेट्स खोल दिए और सतलुज नदी में अतिरिक्त पानी छोड़ा गया। प्रशासन ने लोगों से नदी किनारे न जाने की सख्त हिदायत दी है। एसजेवीएनएल द्वारा जनहित में अलर्ट जारी कर कहा गया, “सतलुज नदी से सुरक्षित दूरी बनाए रखें।”
आईएमडी ने ‘येलो अलर्ट’ जारी किया, भारी बारिश की चेतावनी
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने हिमाचल प्रदेश के कई जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। अगले 24 घंटों में शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में भारी बारिश का अनुमान है। कोठी में 44 मिमी, जट्टन बैराज में 40 मिमी और नरकंडा में 39 किमी/घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं रिकॉर्ड की गई हैं।
मंडी और कांगड़ा सबसे अधिक प्रभावित, बादल फटने से तबाही
मंडी, कुल्लू और कांगड़ा जिलों में अचानक बाढ़, बादल फटने और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। अकेले मंडी में 599 घर और 277 गौशालाएं क्षतिग्रस्त, 482 मवेशियों की मौत और 6 पुल नष्ट हो चुके हैं। कांगड़ा के खनियारा खड्ड में आई बाढ़ में 7 मजदूरों की मौत की पुष्टि हुई है, कई अन्य लापता हैं।
22 बादल फट, 18 भूस्खलन और 31 बार अचानक बाढ़
20 जून से अब तक हिमाचल में 22 बार बादल फटना, 18 बार भूस्खलन, और 31 बार अचानक बाढ़ की घटनाएं हो चुकी हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार यह मानसूनी सीजन राज्य के लिए अब तक का सबसे विनाशकारी साबित हो रहा है।
सरकार की अपील: अनावश्यक यात्रा से बचें, घरों में रहें सुरक्षित
राज्य सरकार और प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वह अनावश्यक यात्रा न करें और जहां तक संभव हो घरों में ही रहें। NDRF और SDRF की टीमें लगातार प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।