हिमाचल में जीरो और कम नामांकन वाले 220 स्कूल बंद, 100 डिनोटिफाई, 120 मर्ज किए गए

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हिमाचल सरकार ने शिक्षा युक्तिकरण के तहत 220 स्कूलों को बंद किया है। इनमें 100 जीरो एनरोलमेंट वाले स्कूल डिनोटिफाई किए गए हैं और 120 स्कूलों को अन्य स्कूलों में मर्ज कर दिया गया है।

हिमाचल सरकार ने राज्य के ऐसे 220 स्कूलों को बंद करने का फैसला किया है, जिनमें या तो जीरो एनरोलमेंट थी या पांच से कम एडमिशन हुई थी। इनमें प्राइमरी और मिडिल स्कूल शामिल हैं। जीरो एनरोलमेंट वाले 100 स्कूल डिनोटिफाई हुए हैं, जबकि 120 स्कूलों को मर्ज कर दिया गया है।

हिमाचल सरकार का बड़ा फैसला: कम नामांकन वाले 220 स्कूल बंद

हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के ऐसे 220 सरकारी स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया है जिनमें या तो शून्य नामांकन (Zero Enrollment) था या फिर पाँच से कम छात्र पढ़ रहे थे। इनमें प्राइमरी और मिडिल स्कूल शामिल हैं। शिक्षा सचिव राकेश कंवर की ओर से इसके लिए दो अलग-अलग आदेश जारी किए गए हैं।

100 स्कूल डिनोटिफाई, 120 स्कूलों का मर्जर

सरकार ने जिन स्कूलों में एक भी छात्र नामांकित नहीं था, ऐसे 100 स्कूलों को डिनोटिफाई कर दिया है। इनमें 72 प्राइमरी और 28 मिडिल स्कूल शामिल हैं। वहीं, बाकी 120 स्कूलों को पास के अन्य स्कूलों में मर्ज कर दिया गया है ताकि छात्रों को बेहतर संसाधनों में पढ़ाई का मौका मिल सके।

मंडी और शिमला में सबसे ज्यादा स्कूल डिनोटिफाई

डिनोटिफाई किए गए प्राइमरी स्कूलों में सबसे ज्यादा 13 स्कूल मंडी जिले से हैं। शिमला में 12, चंबा और सोलन में सात-सात, कुल्लू में पांच, सिरमौर में पांच, लाहौल-स्पीति में चार, किन्नौर में तीन और ऊना में दो स्कूल बंद किए गए हैं।

मिडिल स्कूलों की बात करें तो शिमला में 14, किन्नौर में चार, कुल्लू, सिरमौर और लाहौल-स्पीति में दो-दो, जबकि कांगड़ा, चंबा, सोलन और ऊना में एक-एक मिडिल स्कूल को डिनोटिफाई किया गया है।

कम नामांकन वाले स्कूलों को अन्य स्कूलों में किया गया मर्ज

जिन स्कूलों में पाँच से कम छात्र पढ़ रहे थे, उन्हें बंद कर बच्चों को नजदीकी स्कूलों में शिफ्ट किया गया है। इसमें कांगड़ा में सबसे अधिक 52, मंडी में 25, बिलासपुर में 15, शिमला में 9, सोलन में 6, सिरमौर में 5, हमीरपुर में 4, ऊना में 3 और कुल्लू में 1 स्कूल शामिल है।

शिक्षकों का स्थानांतरण, संसाधनों का बेहतर उपयोग

इन स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों को अब शिक्षा विभाग अन्य जरूरतमंद क्षेत्रों में तैनात करेगा। यह निर्णय राज्य में शिक्षा के संसाधनों के युक्तिकरण (rationalization) की प्रक्रिया के तहत लिया गया है। सभी आंकड़े वर्तमान शिक्षा सत्र के आधार पर लिए गए हैं।

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