दर्द, संघर्ष और उम्मीद—इन तीनों के बीच खड़ी हैं हिमाचल की तीन बेटियाँ: नितिका, शिलाई की दुल्हन, और कांवड़ यात्री कृतिका.. तीनों ने ज़िंदगी को एक अलग नजरिया दिया है। किसी ने माता-पिता खोए, किसी ने समाज के सवालों को झेला, तो किसी ने परंपराओं की दीवारें लांघीं।
हिमाचल प्रदेश की तीन बेटियों ने अपने जीवन के संघर्ष, प्रेम और तपस्या की कहानियों से सोशल मीडिया पर दिल जीत लिए हैं। इनकी सच्ची कहानियां लोगों के लिए प्रेरणा बन रही हैं।
पहाड़ों से उठी कहानियाँ जो दिल को छू जाती हैं
कभी-कभी पहाड़ों से निकलने वाली कहानियाँ इतनी सच्ची, भावुक और प्रेरक होती हैं कि वे सीधे दिल में उतर जाती हैं। और जब दौर सोशल मीडिया का हो, तो ये कहानियाँ कब वायरल हो जाएँ, कोई नहीं जानता। ऐसी ही तीन कहानियाँ इन दिनों हिमाचल से सामने आई हैं, जिनकी मुख्य किरदार हैं तीन बेटियाँ—नितिका, कृतिका और शिलाई की दुल्हन।
नितिका: एक मासूम जिसने आपदा में सब कुछ खो दिया, लेकिन दुनिया को जीने का हौसला दिखा दिया
30 जून की एक रात हिमाचल के लिए काली साबित हुई। भूस्खलन और बारिश ने कई घरों को मलबे में बदल दिया। इसी में सब कुछ खो बैठी एक मासूम बच्ची—नितिका, जिसकी माँ और पिता दोनों इस आपदा में जान गंवा बैठे।
कुदरत ने जान तो बचा ली, लेकिन छोटी सी उम्र में वह अनाथ हो गई। उसकी मासूम मुस्कान, उसका डरा-सहमा चेहरा, जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो देशभर से मदद की बाढ़ आ गई।
- 200+ लोग उसे गोद लेने की इच्छा जता चुके हैं
- 1.88 लाख रुपये से अधिक की सहायता राशि जुट चुकी है
निजी स्कूलों और संस्थाओं ने उसकी शिक्षा का जिम्मा उठाया है
सराज क्षेत्र के शिकावरी गांव में अपनी बुआ की गोद में पल रही नितिका आज भी यह नहीं समझती कि उसका संसार क्या उजड़ गया। लेकिन समाज का साथ यह जरूर बता रहा है कि पहाड़ की बेटी कभी अकेली नहीं रहेगी।
कृतिका: हिमाचल की पहली महिला कांवड़ यात्री, जिसने आस्था की राह पर रचा इतिहास
धार्मिक यात्रा, खासकर कांवड़ यात्रा, अब तक पुरुष प्रधान मानी जाती रही है। लेकिन हिमाचल की कृतिका ठाकुर ने इस सोच को तोड़ते हुए एक नई शुरुआत की।
कृतिका ने हरिद्वार से सुंदरनगर और अब गोमुख से सुंदरनगर तक 750 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी की
वह एमएलएसएम कॉलेज की बीपीएड छात्रा हैं और एक राष्ट्रीय स्तर की बॉक्सिंग खिलाड़ी भी हैं
अपने पिता और चाचा से प्रेरणा लेकर कांवड़ यात्रा पर निकलीं और भोलेनाथ को गंगाजल अर्पित किया
कृतिका की यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था की मिसाल बनी है, बल्कि उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमाओं में बंधी हुई आस्था को तोड़ना चाहती हैं।
शिलाई की दुल्हन: जिसने समाज की सीमाओं को तोड़ा और दो भाइयों से विवाह किया
तीसरी कहानी है शिलाई की एक दुल्हन की, जिसने ऐसा फैसला लिया जो आम सोच से परे है। उसने दो भाइयों से विवाह कर प्राचीन परंपरा को अपनाया—एक ऐसा कदम जो आज के आधुनिक समाज में विवाद का विषय बन गया।
- इस कहानी पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ आईं
- कुछ ने साहस बताया, तो कुछ ने संस्कारों पर सवाल उठाए
- लेकिन दुल्हन का साफ कहना है: “रिश्ता विश्वास से चलता है, समाज की स्वीकृति से नहीं।”
- यह कहानी भले ही विवादास्पद हो, लेकिन इसने एक जरूरी बहस को जन्म दिया है—क्या हर परंपरा गलत है या हर आधुनिक सोच सही?
निष्कर्ष: ये कहानियाँ सिर्फ वायरल नहीं, प्रेरणादायक भी हैं
नितिका की मासूमियत, कृतिका की आस्था, और शिलाई की दुल्हन की स्वतंत्र सोच—तीनों अलग-अलग किरदार हैं, लेकिन एक बात समान है: इन्हें दुनिया से डर नहीं लगता।
सोशल मीडिया ने इन्हें वायरल कर दिया, लेकिन ये बेटियाँ अपने जीवन की कहानी खुद लिख रही हैं। और हम सबके लिए एक बड़ा संदेश छोड़ रही हैं:
“अगर आप सच्चे हैं, तो दुनिया आपकी कहानी खुद सुनना चाहती है।”