राज्य के सरकारी स्कूलों में हर आखिरी शनिवार अब पहाड़ी बोली में बात होगी। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रावधान के अनुसार एक नई एक्टिविटी बैग फ्री डे के लिए जोड़ी है। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इस पहल को शुरू किया है।
हर अंतिम शनिवार को स्कूलों में बोले जाएंगे पहाड़ी बोल
हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब हर महीने के अंतिम शनिवार को एक अनोखी पहल शुरू की जा रही है। इस दिन स्कूलों में शिक्षक और विद्यार्थी एक घंटे तक क्षेत्रीय पहाड़ी भाषाओं में संवाद करेंगे। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत लिया गया है, जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने की बात कही गई है।
बैग-फ्री डे पर नई गतिविधि
राज्य सरकार ने ‘बैग-फ्री डे’ की अवधारणा को और प्रभावशाली बनाने के लिए इस भाषा गतिविधि को जोड़ा है। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अगुवाई में यह पहल शुरू की गई है। स्कूल शिक्षा निदेशक ने सभी जिला उपनिदेशकों को निर्देश भेज दिए हैं कि इस दिन स्थानीय बोली में वार्तालाप सुनिश्चित किया जाए।
क्षेत्रीय भाषा में संवाद से जिंदा रहेगी परंपरा
निर्देशों के अनुसार, हर स्कूल में उस क्षेत्र की प्रचलित बोली — जैसे कि कांगड़ा में कांगड़ी, मंडी में मंडयाली, शिमला में पहाड़ी — का इस्तेमाल संवाद में किया जाएगा। इससे बच्चों में अपनी जड़ों से जुड़ाव बढ़ेगा और भाषाई विरासत को संरक्षण मिलेगा।
शेड्यूल होगा एकेडमिक कैलेंडर में शामिल
राज्य सरकार ने यह तय किया है कि यह अभ्यास हर वर्ष के एकेडमिक कैलेंडर में शामिल रहेगा। इसके पालन की रिपोर्ट भी सभी जिलों से सरकार को भेजनी होगी, ताकि इस नई पहल की सफलता का मूल्यांकन किया जा सके।
इस महीने से ही शुरू होगी अनुपालन प्रक्रिया
स्कूल शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने बताया कि इस महीने से ही जिला स्तर पर इस निर्देश की अनुपालन प्रक्रिया की निगरानी शुरू कर दी जाएगी। उद्देश्य है बच्चों में भाषा और सांस्कृतिक जागरूकता को स्कूल स्तर पर ही मजबूत करना।