हिमाचल में बिजली संकट गहराया: भारी बारिश से जलविद्युत परियोजनाएं ठप, 650 मेगावाट की कमी

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हिमाचल में झटके मारने लगी बिजली, खरीदकर चल रहा गुजारा, उत्पादन में 650 मेगावाट तक कमी हिमाचल प्रदेश में भारी वर्षा के बाद बिजली परियोजनाओं के उत्पादन में कमी आई है। जहां सोमवार से 1500 मेगावाट की नाथपा झाखड़ी परियोजना के बंद हो जाने से उत्तर भारत में बिजली का संकट हुआ है।

हिमाचल में भारी बारिश के चलते नाथपा झाखड़ी समेत कई जलविद्युत परियोजनाएं ठप हो गई हैं। इससे 650 मेगावाट बिजली उत्पादन में गिरावट आई है। प्रदेश को बाहरी स्रोतों से बिजली खरीदनी पड़ रही है।

नाथपा झाखड़ी परियोजना बंद, उत्तर भारत में भी संकट

हिमाचल प्रदेश में दो दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण राज्य के प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं में अचानक भारी गाद आ जाने से बिजली उत्पादन पर गहरा असर पड़ा है। नाथपा झाखड़ी (1500 मेगावाट) परियोजना सोमवार से पूरी तरह बंद हो गई है, जिससे केवल हिमाचल ही नहीं, उत्तर भारत के कई राज्यों में बिजली संकट गहरा गया है।

650 मेगावाट बिजली उत्पादन में आई कमी

बिजली बोर्ड के अनुसार, बारिश से जलधाराओं में गाद भर जाने से उत्पादन में भारी गिरावट आई है और प्रदेश में लगभग 650 मेगावाट बिजली की कमी दर्ज की गई है। इससे राज्य की बिजली ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बाहरी स्रोतों से बिजली खरीदनी पड़ रही है।

रियल टाइम मार्केट में भी झटका

रियल टाइम बाजार में प्रदेश द्वारा 1500 मेगावाट बिजली की मांग रखने के बावजूद, उसे केवल 100 से 200 मेगावाट बिजली की ही मंजूरी मिल सकी है। इससे हिमाचल को रियल टाइम में केवल 9.06 लाख यूनिट बिजली मिल पाई है, जबकि आवश्यकता इससे कहीं अधिक है।

बोर्ड को 700 मेगावाट बिजली खरीदनी पड़ी

स्थिति से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (HPSEBL) को ग्रिड से लगभग 700 मेगावाट यानी 12.47 लाख यूनिट अतिरिक्त बिजली खरीदनी पड़ी। लगातार बिजली की मांग पूरी न होने से ग्रिड की फ्रीक्वेंसी पर भी असर पड़ा है, जिससे तकनीकी खतरा पैदा हो गया।

लोड शेडिंग और ओवरड्रॉल ने बढ़ाई चिंता

बोर्ड ने लोड शेडिंग की व्यवस्था लागू की है, लेकिन इसके बावजूद आधी रात तक 250 से 350 मेगावाट का ओवरड्रॉल जारी रहा। 21 जुलाई तक नेट ओवरड्रॉल 16.05 लाख यूनिट तक पहुंच गया। हालांकि आधी रात के बाद ग्रिड की स्थिति में सुधार हुआ और चरणबद्ध तरीके से बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई।

निष्कर्ष:

हिमाचल प्रदेश में भारी वर्षा ने जलविद्युत उत्पादन को गहरा नुकसान पहुंचाया है। राज्य को बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है, जिससे आर्थिक बोझ भी बढ़ा है। आने वाले दिनों में यदि वर्षा और गाद की समस्या बनी रही, तो प्रदेश को बिजली कटौती (power cuts) और लागत वृद्धि जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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