हिमाचल प्रदेश में इस बार सेब खरीद का पूरा कार्य सिर्फ एक ही एजेंसी करेगी। सरकार ने खरीद प्रक्रिया में बदलाव करते हुए सेब उत्पादकों को एक नई व्यवस्था से अवगत कराया है।
हिमाचल प्रदेश में इस बार हिमफैड सेब के कारोबार में नहीं जुड़ेगा। सूत्रों के अनुसार चूंकि अब नई शर्तों के आधार पर बागबानों से गुणवत्तायुक्त सेब की खरीद की जानी है, तो मंडी मध्यस्थता योजना यानी एमआईएस के तहत केवल एक ही एजेंसी को सरकार काम सौंपने जा रही है।
इस बार HPMC को मिल सकती है सेब खरीद की पूरी जिम्मेदारी
हिमाचल प्रदेश सरकार इस बार मंडी मध्यस्थता योजना (MIS) के तहत apple procurement की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ एक एजेंसी को सौंपने जा रही है। सूत्रों के अनुसार, इस बार हिमफैड को इस प्रक्रिया से बाहर रखा जाएगा क्योंकि नई शर्तों के आधार पर सिर्फ गुणवत्तायुक्त सेब की खरीद की जानी है।
अगली कैबिनेट बैठक में होगा Final Decision
सरकार इस प्रस्ताव को अगली cabinet meeting में लेकर जाएगी, जहां HPMC को MIS के तहत सेब की खरीद का पूरा अधिकार सौंपा जा सकता है। इसी बैठक में इस सीजन के लिए apple purchase price भी तय किया जाएगा, जो अब तक घोषित नहीं हुआ है।
सेब का सीजन शुरू, मंडियों में हो रही Early Arrival
प्रदेश में apple season की शुरुआत हो चुकी है और मंडियों में सेब पहुंचने लगा है। मगर अब तक MIS के तहत खरीद प्रक्रिया को सरकार ने final नहीं किया है। ऐसे में बागबानों को official confirmation का इंतजार है।
HPMC ने लगाए दो नए आधुनिक संयंत्र
HPMC ने इस बार सेब आधारित उत्पादों की प्रोसेसिंग के लिए two new modern plants लगाए हैं, जिनमें high-quality सेब उत्पाद तैयार किए जाएंगे। सरकार चाहती है कि सारी खरीद इसी एजेंसी द्वारा की जाए जिससे सेब का proper utilization हो सके।
हिमफैड को क्यों किया जा रहा बाहर?
HIMFED पहले भी इस काम में शामिल थी, लेकिन उसके पास required infrastructure की कमी है। वह खुद से कोई उत्पाद नहीं बनाती बल्कि सेब को आगे बेचती है। इसी कारण सरकार इस बार उससे खरीद का काम नहीं लेने पर विचार कर रही है।
राज्यभर में खुलेंगे 263 खरीद केंद्र
Sources say कि HPMC को 263 सेब खरीद केंद्र खोलने के निर्देश दिए गए हैं। ये केंद्र शिमला, कुल्लू, मंडी, किन्नौर और चंबा जिलों में खोले जाएंगे। शिमला जिले में सबसे अधिक सेब उत्पादन होता है और बागबानों को MIS का लाभ मिलेगा।
सिर्फ B और C ग्रेड सेब की होगी खरीद
इस बार भी B और C grade के सेब की ही खरीद की जाएगी, जबकि D grade को नहीं लिया जाएगा। सरकार की योजना है कि केवल standard quality सेब ही खरीदे जाएं जिससे wastage न हो।
सेब का रेट इस बार भी रह सकता है स्थिर
पिछले साल की तरह इस बार भी apple rate 12 रुपये प्रति किलो ही रहने की संभावना है। सरकार हालात को देखते हुए अंतिम निर्णय लेगी, लेकिन संभावना है कि इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा।