अपने माता-पिता को खो चुकी नितिका को गोद लेने के लिए आए 200 से ज्यादा आवेदन मात्र 10 महीने की उम्र में अपने माता-पिता को खो चुकी नितिका को गोद लेने वालों की कतार दिन-प्रतिदिन लंबी होती जा रही है। प्रदेश के विभिन्न जिलों से हर रोज तीन से चार औलाद के चाहवान नितिका को गोद लेने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं।
नन्ही नितिका के लिए उमड़ा दया और संवेदना का सैलाब
मात्र 10 महीने की उम्र में अपने माता-पिता और दादी को खो चुकी नितिका की कहानी ने पूरे हिमाचल प्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर के लोगों को भावुक कर दिया है। सराज क्षेत्र के शिकावरी गांव में अपनी बुआ किरणा देवी की गोद में पल रही इस मासूम बच्ची को गोद लेने की इच्छुक लोगों की संख्या 200 पार कर चुकी है। हर दिन प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से औलाद के चाहवान लोग संपर्क कर रहे हैं।
गोद लेने की जटिल प्रक्रिया के बावजूद बढ़ रहा है रुझान
भले ही भारत में गोद लेने की प्रक्रिया कानूनी रूप से जटिल और लंबी हो, लेकिन इसके बावजूद कई लोग इसे अपनाने और प्रक्रिया को पूरा करने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। नितिका की बुआ और नानी के अनुसार 21 जुलाई तक 200 से अधिक लोग संपर्क कर चुके हैं। कुछ सीधे रिश्तेदारों से तो कुछ प्रशासन से बच्ची को गोद लेने की बात कर चुके हैं।
रिश्तेदार फिलहाल किसी को देने को तैयार नहीं
नितिका के परिवारजन, विशेष रूप से उसकी बुआ और नानी, फिलहाल बच्ची को किसी को भी सौंपने के लिए तैयार नहीं हैं। नितिका वर्तमान में अपनी बुआ किरणा देवी की देखरेख में सुरक्षित और स्नेहपूर्ण माहौल में है।
एक रात ने बदल दी पूरी जिंदगी
गौरतलब है कि 30 जून और पहली जुलाई की रात को आई भीषण त्रासदी में नितिका ने अपने पिता रमेश कुमार, माता राधा देवी, और दादी पूर्णू देवी को खो दिया। इस त्रासदी ने नितिका के सिर से पूरे परिवार का साया छीन लिया।
लोग कर रहे आर्थिक मदद, भविष्य की पढ़ाई का खर्च भी तय
नितिका की बुआ ने जानकारी दी कि 20 जुलाई तक रिश्तेदारों और दानियों ने करीब ₹1,88,000 की नकदी सहायता दी है, जिसे नितिका के बैंक खाते में जमा किया जा रहा है। शिमला जिले के एक व्यक्ति और एक सैनिक स्कूल ने नितिका की चौथी कक्षा के बाद की पूरी पढ़ाई का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली है।
हर महीने ₹1000 जमा करेंगे सुनील गोसाइक
सिरमौर जिला के बांदल गांव निवासी सुनील गोसाइक ने यह घोषणा की है कि वे नितिका की 18 वर्ष की आयु पूरी होने तक ₹1000 प्रतिमाह उसकी मदद के लिए उसके खाते में जमा करेंगे।
एफडीआर बनेगी माता-पिता की बीमा राशि की
एसडीएम गोहर विचित्र सिंह ठाकुर ने बताया कि नितिका के माता-पिता की बीमा क्लेम राशि की एफडीआर (FDR) बनाई जाएगी, जिसे 18 वर्ष की उम्र होने पर नितिका को ब्याज सहित प्रदान किया जाएगा। यह व्यवस्था प्रशासन द्वारा कानूनी रूप से सुरक्षित ढंग से की जाएगी।
निष्कर्ष:
नन्ही नितिका की कहानी दुःखद जरूर है, लेकिन जिस तरह से समाज ने संवेदना और समर्थन दिखाया है, वह इंसानियत की मिसाल बन गया है। प्रशासन और परिवार दोनों यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि नितिका को सुरक्षित, सम्मानजनक और उज्ज्वल भविष्य मिले।