मानसून के सीजन में हिमाचल को रोज नई आपदा डरा रही है। ऐसे बुरे वक्त में वल्र्ड बैंक का एक और प्रोजेक्ट हिमाचल को सहारा देगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में दिल्ली दौरे में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी।
मानसून में आपदा से जूझते हिमाचल को मिला वर्ल्ड बैंक का बड़ा सहारा
हिमाचल प्रदेश, जो मानसून के मौसम में लगातार नई आपदाओं का सामना कर रहा है, उसे अब वर्ल्ड बैंक का एक बड़ा प्रोजेक्ट सहारा देगा। यह वित्तीय सहायता राज्य को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान से उबरने में मदद करेगी।
मुख्यमंत्री सुक्खू के प्रयासों से मिली मंजूरी
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी। इसी बैठक में, मल्टीलेटरल प्रोजेक्ट कैटेगरी के तहत वर्ल्ड बैंक से कुल 2388 करोड़ रुपये के एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर सहमति बनी। इसमें वर्ल्ड बैंक 2150 करोड़ रुपये का योगदान देगा, जबकि शेष राशि राज्य सरकार को वहन करनी होगी।
‘डिजास्टर रिकवरी एंड रेजीलियंस स्ट्रेंथनिंग’ प्रोजेक्ट
इस प्रोजेक्ट का नाम “डिजास्टर रिकवरी एंड रेजीलियंस स्ट्रेंथनिंग” है। भारत सरकार से इस संबंध में पत्र भी आ गया है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य पिछले एक साल में प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुए ढांचागत नुकसान का पुनर्निर्माण करना है।
प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट (PMU) का गठन
हिमाचल सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए एक प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट (PMU) का गठन किया है, ताकि समय रहते प्रोजेक्ट की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा सके। सभी विभागों से प्रस्ताव इसमें जाएंगे और दिसंबर तक यह प्रक्रिया पूरी करनी है। इसके बाद, वर्ल्ड बैंक के साथ लोन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
वर्ल्ड बैंक टीम का दौरा और नोडल एजेंसी
मुख्यमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री की बैठक में बनी सहमति के बाद, वर्ल्ड बैंक की एक टीम शिमला का दौरा कर चुकी है और मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना के साथ भी बैठक हुई है। मुख्य सचिव ने इसके बाद सभी संबंधित विभागों को इस प्रोजेक्ट के तहत काम की पहचान करने को कहा है। राज्य सरकार के राजस्व विभाग का डिजास्टर मैनेजमेंट विंग इस प्रोजेक्ट के लिए नोडल एजेंसी होगा।
विशेष श्रेणी राज्य होने का लाभ
इस परियोजना को बाह्य वित्त पोषित प्रोजेक्ट के तौर पर पूरा किया जाएगा। भारत सरकार के लिए वर्ल्ड बैंक की यह धनराशि लोन के रूप में होगी, जबकि हिमाचल प्रदेश को, विशेष श्रेणी राज्य होने के कारण, यह अनुदान के तौर पर मिलेगी। यह निश्चित रूप से हिमाचल प्रदेश के लिए एक बड़ी राहत है, खासकर मौजूदा मानसून संकट को देखते हुए।