बार-बार बादल फटने की घटनाओं की जांच शुरू, दिल्ली से आई केंद्रीय टीम ने की उच्चस्तरीय बैठक

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हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती घटनाओं का पता लगाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित बहु-क्षेत्रीय केंद्रीय टीम के साथ शिमला में अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व केके पंत की अध्यक्षता में बैठक हुई।

हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बादल फटने की घटनाओं की जांच अब केंद्रीय स्तर पर शुरू हो गई है। दिल्ली से आई विशेषज्ञ टीम ने राजस्व सचिव सहित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर हालात की समीक्षा की।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीम ने की आपदा समीक्षा बैठक

हिमाचल प्रदेश में हाल ही में बढ़ रही प्राकृतिक आपदाओं (Natural Disasters) की घटनाओं की जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम ने शिमला में प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) के. के. पंत की अध्यक्षता में बैठक की। बैठक में टीम लीडर कर्नल केपी सिंह सहित विशेषज्ञ सदस्य डॉ. एसके नेगी, प्रो. अरुण कुमार, डॉ. नीलिमा सत्यम और डॉ. सुस्मिता जोसफ उपस्थित रहे।

 हिमाचल की भौगोलिक स्थितियों को बताया गया विशेष

बैठक में एसीएस के.के. पंत ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक संरचना (Topography) देश के अन्य राज्यों से भिन्न है और इसे ध्यान में रखते हुए relief and rehabilitation norms में बदलाव ज़रूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि Central Water Commission (CWC) और Geological Survey of India (GSI) जैसी संस्थाएं आपदाओं के कारणों का गहराई से अध्ययन करें।

सटीक डेटा और भविष्यवाणी तकनीक की जरूरत पर ज़ोर

उन्होंने advance prediction systems विकसित करने और संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित करने की आवश्यकता पर बल दिया। एसीएस ने यह भी कहा कि pre-disaster preparedness के साथ-साथ post-disaster response equally important है। इसके लिए पूरे प्रदेश में dense sensor networks लगाने की भी सिफारिश की गई।

 बाढ़ पूर्वानुमान इकाई और ग्लेशियर अध्ययन की मांग

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वर्ष 2023 से घट रही cloudburst events का गहराई से अध्ययन करवाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रदेश में flood forecasting unit, hydrological monitoring, और glacial lake study को प्राथमिकता देने की बात कही। डीजीआरई-डीआरडीओ के डॉ. नीरज और जीएसआई के अतुल वर्चुअल माध्यम से बैठक में शामिल हुए।

 केंद्रीय टीम का फील्ड विज़िट कार्यक्रम और डेटा एकत्रीकरण

Multi-sectoral Central Team अब प्रदेश के आपदा-प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगी और एक सप्ताह के भीतर Ministry of Home Affairs को रिपोर्ट सौंपेगी। टीम ने DGRE–DRDO से ऊंचाई वाले क्षेत्रों का डेटा और GSI से landslide mapping और फ्लैश फ्लड्स से जुड़ी जानकारी जुटाने पर बल दिया।

  •  हिमाचल में 2018 से अब तक 148 बार फटे बादल
    आपदा डेटा हुआ प्रस्तुत, कुल्लू, लाहौल-स्पीति, मंडी हाई रिस्क जोन में

विशेष सचिव (आपदा प्रबंधन) डीसी राणा ने बताया कि वर्ष 2018 से अब तक राज्य में:

  •  148 Cloudbursts
  • 294 Flash Floods
  •  5000+ Landslides रिकॉर्ड किए जा चुके हैं।

कुल्लू, लाहौल-स्पीति, किन्नौर और मंडी जिले सबसे अधिक vulnerable zones में आते हैं। वर्ष 2023 में ही प्राकृतिक आपदाओं से करीब ₹10,000 करोड़ का नुकसान आंका गया है, जबकि हर साल औसतन ₹1,000 से ₹2,000 करोड़ का नुकसान हो रहा है।

 मुख्य सचिव से टीम की मुलाकात, जल्द सौंपेगी रिपोर्ट

टीम ने राज्य के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों के लिए यह बेहद आवश्यक है कि आपदाओं के कारणों की गहराई से जांच हो ताकि भविष्य के लिए effective mitigation strategies तैयार की जा सकें।

टीम में शामिल विशेषज्ञों की सूची

  • कर्नल केपी सिंह – राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, सलाहकार
  • डॉ. एसके नेगी – चीफ साइंटिस्ट, CSIR-CBRI रुड़की
  • प्रो. अरुण कुमार – पूर्व भू-वैज्ञानिक, मणिपुर विश्वविद्यालय
  • डॉ. सुस्मिता जोसफ – रिसर्च साइंटिस्ट, IITM पुणे
  • डॉ. नीलिमा सत्यम – प्रोफेसर, IIT इंदौर

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