हिमाचल प्रदेश के जंगल में जंगली साग खाने से मजदूरों की हालत बिगड़ गई। घबराकर कई लोग इधर-उधर भागने लगे, तीन मजदूर अब भी जंगल में लापता हैं। पुलिस और वन विभाग की टीमें तलाश में जुटीं हैं।
जंगली साग बना खतरा, मजदूरों की बिगड़ी मानसिक स्थिति
पांगी घाटी के धनाला क्षेत्र में वन निगम के ठेकेदार के सात मजदूरों ने जंगल से लाकर जंगली साग खा लिया, जिसके बाद उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई। वे घबराकर इधर-उधर भागने लगे और अजीब हरकतें करने लगे। घटना रविवार रात की है।
चार अस्पताल में भर्ती, तीन अब भी लापता
मजदूरों में से चार को साथियों ने पकड़कर किलाड़ अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि उनके शरीर से जहर निकाल दिया गया है और सभी अब खतरे से बाहर हैं।
लापता तीन मजदूरों की पहचान इस प्रकार है:
नरेश राम, निवासी सुधेल, डाकघर चड़ी
जर्म सिंह, निवासी बाड़का, डाकघर रजेरा
ज्ञान चंद, निवासी जांघी
इनकी तलाश के लिए पुलिस और स्थानीय लोग सर्च अभियान चला रहे हैं।
गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज, परिजन भी पहुंचे पांगी
ठेकेदार ने पुर्थी पुलिस चौकी में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई है। लापता मजदूरों के परिजन चंबा से पांगी पहुंच गए हैं और प्रशासन के साथ मिलकर तीन दिनों से तलाश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं मिला।
डॉक्टरों की पुष्टि: “जंगली साग में जहरीला तत्व था”
किलाड़ के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. विशाल शर्मा ने पुष्टि की है कि साग में कोई विषैला या नशीला तत्व रहा होगा। चारों भर्ती मजदूरों की स्थिति अब स्थिर है।
पुलिस का बयान
किलाड़ थाना प्रभारी जोगिंद्र सिंह जरयाल ने कहा, “सात लोग जंगली साग खाने के बाद असामान्य हो गए थे। चार को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है, तीन की तलाश की जा रही है।”