हिमाचल प्रदेश के सभी जलाशयों में 15 अगस्त तक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मत्स्य विभाग ने अवैध शिकार रोकने के लिए जलाशयों के किनारे निगरानी तेज कर दी है।
दो महीने तक मछली आखेट पर पूर्ण प्रतिबंध
प्रदेश के जलाशयों में आगामी दो महीनों के लिए मछली पकड़ने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। 16 जून से 15 अगस्त तक मछलियों के प्रजननकाल के चलते यह प्रतिबंध लागू किया गया है, जिससे उनकी संख्या को प्राकृतिक रूप से बढ़ावा मिल सके।
पांच बड़े जलाशयों में शिकार पूरी तरह बंद
राज्य के पांच प्रमुख जलाशयों—गोबिंदसागर, पौंग, चमेरा, कोलडैम और रणजीत सागर में इस दौरान मछली शिकार नहीं किया जा सकेगा। ये जलाशय लगभग 43,785 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हैं, जहां हजारों मछुआरे कार्यरत रहते हैं।
2400 किलोमीटर लंबे सामान्य जल क्षेत्रों में भी रोक
प्रदेश के सामान्य जल क्षेत्रों, जिनकी कुल लंबाई लगभग 2400 किलोमीटर है, में भी 6300 से अधिक मछुआरे फैंकवां जाल से मछली पकड़ने का कार्य करते हैं। यहां भी इसी अवधि में पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
निगरानी के लिए विशेष कैंप और उड़न दस्ते तैनात
इस वर्ष गोबिंदसागर में 17 कैंप, कोलडैम में 3, पौंगडैम में 17, चमेरा में 5 और रणजीत सागर में 2 कैंप लगाए जाएंगे। साथ ही हर जलाशय क्षेत्र में एक उड़नदस्ता (फ्लाइंग स्क्वॉड) भी तैनात किया जाएगा ताकि अवैध शिकार पर कड़ी नजर रखी जा सके।
अवैध शिकार पर सख्त सजा का प्रावधान
अगर कोई व्यक्ति प्रतिबंध के दौरान मछली का शिकार करता हुआ पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ तीन साल की कैद, 5000 रुपये तक जुर्माना या फिर दोनों सजा एक साथ दी जा सकती है। यह कार्रवाई मत्स्य कानूनों के तहत की जाएगी।