सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों को मजबूत बनाने के लिए अनेक अभिनव पहल की हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती पद्धति के उत्पादों को विशेष अधिमान दिया जा रहा है। प्रदेश के हिम ईरा व अन्य उत्पाद दूसरे प्रदेशों में बहुत लोकप्रिय हुए हैं।
सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए नई योजनाएं लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। इन प्रयासों से रोजगार बढ़ेगा और गांवों की आत्मनिर्भरता मजबूत होगी।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध: सीएम सुक्खू
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति को सशक्त करने के उद्देश्य से अनेक अभिनव पहल कर रही है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती, दुग्ध उत्पादन और महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए व्यापक योजनाएं लागू की गई हैं।
प्राकृतिक खेती को मिल रहा बढ़ावा और समर्थन
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में प्राकृतिक खेती करने वाले एक लाख 58 हजार से अधिक किसानों को प्रमाणित किया गया है। इन किसानों के उत्पादों को बाज़ार में अच्छी पहचान दिलाने के लिए सरकार प्रयासरत है। प्राकृतिक तौर पर उगाई गई मक्की और गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर किसानों को सीधा लाभ दिया जा रहा है।
एमएसपी में वृद्धि: मक्की, गेहूं और हल्दी को मिला लाभ
प्राकृतिक मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 से बढ़ाकर 40 रुपये और गेहूं का 40 से 60 रुपये प्रतिकिलो किया गया है। इसके अलावा, प्रदेश में पहली बार सरकार 90 रुपये प्रति किलो की दर से कच्ची हल्दी खरीदेगी, जिसे ‘हिमाचली हल्दी’ के नाम से ब्रांड किया जाएगा।
महिला स्वयं सहायता समूहों को मिली डिजिटल मार्केटिंग की ताकत
महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्पादों की बिक्री के लिए ‘हिम-ईरा’ नामक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है। इससे महिलाओं को अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का मौका मिल रहा है और उनकी आय में वृद्धि हो रही है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात
इससे पहले मुख्यमंत्री से शिमला में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और हिमाचल प्रदेश पशु एवं कृषि सखी संघ के प्रतिनिधिमंडल ने भेंट कर विभिन्न मांगों को रखा। मुख्यमंत्री ने सभी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया।