World Bee Day 2025: हिमाचल में विलुप्त हो रही देसी मधुमक्खी के लिए विभाग ने बनाए घर

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विश्व मधुमक्खी दिवस 2025 के अवसर पर, हिमाचल प्रदेश में विलुप्त हो रही देसी मधुमक्खी के संरक्षण के लिए विभाग ने खास घर बनाए हैं। जानें इस पहल के बारे में और कैसे यह मधुमक्खियों की प्रजातियों को बचाने में मदद करेगा।

विलुप्त हो रही देसी मधुमक्खियों के संरक्षण के लिए बागवानी विभाग की पहल

हिमाचल प्रदेश बागवानी विभाग ने देसी मधुमक्खियों (एपीस सेराना) के संरक्षण के लिए मड हाइब नामक एक नया मधुमक्खी घर विकसित किया है। This initiative aims to protect the endangered native bee species and promote sustainable beekeeping practices.

प्राकृतिक और टिकाऊ आवास का निर्माण

यह मड हाइब प्राकृतिक सामग्रियों जैसे लाल मिट्टी, गोबर, पत्थर और सूखी घास से बनाए जाते हैं, जो पर्यावरण के लिए सुरक्षित होते हैं। The design ensures that bees have a durable and safe habitat while also enhancing honey production. इस घर में एपीस सेराना मधुमक्खियों की आठ ट्रे रखी जाती हैं, जिन्हें बागवान अपने बगीचों और घरों में स्थायी तौर पर रख सकते हैं।

देसी और विदेशी मधुमक्खियों की तुलना

वर्तमान में बागवानों द्वारा ज्यादातर इटालियन मधुमक्खियों (एपीस मेलिफेरा) का इस्तेमाल किया जा रहा है, क्योंकि यह अधिक शहद उत्पन्न करती हैं। However, native bees like Apis cerana are considered to produce better quality honey, even though their yield is lower. एक एपीस सेराना परिवार साल भर में 6 से 10 किलो शहद उत्पन्न करता है, जबकि एपीस मेलिफेरा 30 से 40 किलो शहद बनाती है।

मधुमक्खी पालन में वृद्धि और भविष्य की चुनौतियाँ

1962 में हिमाचल प्रदेश में एपीस मेलिफेरा मधुमक्खियों का प्रवेश हुआ, और आज प्रदेश में करीब 9,000 से 10,000 लोग मधुमक्खी पालन से जुड़े हुए हैं। The demand for bees is expected to grow with the increasing cultivation of commercial crops. इसके चलते देसी मधुमक्खियों का संरक्षण जरूरी हो गया है।

मड हाइब की उपयोगिता

मड हाइब को बागवान व्यक्तिगत रूप से या सामुदायिक रूप से अपने घरों और बगीचों में बिना किसी खर्चे के स्थापित कर सकते हैं। This will help in maintaining the balance of the bee population and support the ecosystem.

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