स्कूलों में इंटरनेट की मांग तेज, ऑनलाइन कार्य के लिए शिक्षक खर्च कर रहे अपनी जेब से पैसा

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शिक्षकों ने स्कूलों में इंटरनेट सुविधा की मांग की है। वे ऑनलाइन कार्यों के लिए अपनी जेब से खर्च कर रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है।

इंटरनेट सुविधा की मांग तेज (Demand for Internet Access in Schools)

शिक्षा निदेशालय के बाहर बीते सात दिनों से प्रदर्शन कर रहे शिक्षक अब प्रदेश सरकार से स्कूलों में इंटरनेट सुविधा (Internet Access in Schools) की मांग कर रहे हैं। उन्होंने सरकार को 15 दिनों का अल्टीमेटम (15-Day Ultimatum) दिया है और कहा है कि अगर इस अवधि में स्कूलों को इंटरनेट नहीं मिला, तो वे सभी प्रकार का स्कूल वर्क (School Work) बंद कर देंगे।

ऑनलाइन काम का निजी खर्च (Personal Expense for Online Work)

शिक्षकों का कहना है कि वे अब तक अपने मोबाइल से रिचार्ज करवा कर या अन्य तरीकों से ऑनलाइन कार्य (Online Work) कर रहे हैं। लेकिन अब उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वे आगे से ब्रॉडबैंड और सिम कार्ड (Broadband and SIM Card) स्कूलों को उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं।

शिक्षकों ने सौंपा औपचारिक नोटिस (Formal Notice Submitted by Teachers)

राज्य शिक्षक संघ के अध्यक्ष जगदीश शर्मा ने यह नोटिस निदेशक स्कूल शिक्षा विभाग आशीष कोहली को सौंपा है। शिक्षकों ने विभाग से आग्रह किया है कि इंटरनेट सुविधा (Internet Facility) जल्द से जल्द प्रदान की जाए ताकि वे निर्बाध रूप से कार्य कर सकें।

सेवानिवृत्ति की चेतावनी और विरोध (Retirement Threat and Protest Reaction)

ध्यान देने योग्य है कि 26 अप्रैल को शिक्षा सचिव ने एक आदेश में स्पष्ट किया था कि जो शिक्षक ऑनलाइन कार्य नहीं करेंगे, उन्हें अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किया जा सकता है। इस चेतावनी के बाद शिक्षकों ने अब इंटरनेट सुविधा को लेकर और मजबूती से अपनी बात रखी है।

टैबलेट बिना इंटरनेट के बेकार (Government Tablets Useless Without Internet)

राज्य सरकार द्वारा दिए गए टैबलेट (Tablets) आज बेकार पड़े हुए हैं क्योंकि स्कूलों में ब्रॉडबैंड कनेक्शन (Broadband Connection) ही नहीं है। शिक्षक संघ का कहना है कि बिना इंटरनेट के ये डिजिटल डिवाइसेज़ किसी काम की नहीं हैं।

25 हजार से ज्यादा प्राइमरी शिक्षक प्रभावित (25,000+ Primary Teachers Affected)

फिलहाल राज्य में शिक्षा विभाग में सबसे बड़ा कैडर (Largest Cadre) प्राइमरी शिक्षकों का है, जिसमें 25,000 से अधिक शिक्षक तैनात हैं। उनका आरोप है कि शिक्षा निदेशालय के पुनर्गठन में उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया (Not Consulted in Restructuring)।

बैठकों की पारदर्शिता पर सवाल (Lack of Transparency in Meetings)

शिक्षकों का यह भी कहना है कि शिक्षा मंत्री और सचिव की कई बैठकों के बावजूद, कोई भी मीटिंग प्रोसिडिंग (Meeting Proceedings) सार्वजनिक नहीं की गईं। इससे उन्हें संदेह है कि उनके अधिकारों में कटौती की जा सकती है।

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