सतलुज नदी में जलस्तर अचानक बढ़ने से दो मासूम बच्चे फंस गए। बच्चों की सुरक्षा के लिए एनटीपीसी ने तुरंत पानी के गेट बंद कर राहत कार्य तेज किया।
सतलुज में अचानक जलस्तर बढ़ने से मची अफरा-तफरी
बिलासपुर जिले के खंगड़ गांव (Khangar village) में बुधवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब सतलुज नदी (Sutlej River) का जलस्तर अचानक तेजी से बढ़ गया। इस अप्रत्याशित बढ़ोतरी के कारण तीन मासूम बच्चे नदी के बीच फंस गए। इनमें से एक बच्ची किसी तरह सुरक्षित बाहर निकल आई, लेकिन दो लड़के तेज बहाव के कारण वहीं फंसे रह गए।
टापू पर फंसे मासूम, पानी का फ्लो बना खतरा
बच्चे नदी किनारे बने रेत के मैदान में खेल रहे थे, जब जल स्तर तेजी से बढ़ा। खतरा महसूस होते ही कृष चंदेल (पुत्र मनीष चंदेल) और अनुज (पुत्र वीरेंद्र) जान बचाकर एक छोटे टापू (island) पर चढ़ गए। वहीं तीसरी बच्ची समय रहते किनारे पर लौट आई। पानी का फ्लो इतना तेज था कि बच्चे टापू से बाहर नहीं निकल सके।
ग्रामीणों ने बच्चों की चीखें सुनकर लिया एक्शन
बच्चों की आवाजें सुनकर नजदीकी ग्रामीण मौके पर पहुंचे और तुरंत NTPC प्रबंधन से संपर्क किया। Situation की गंभीरता को समझते हुए NTPC की टीम ने फौरन एक्शन लिया। यह Coordination प्रशासन और कंपनी के बीच बेहतरीन समझदारी का उदाहरण था।
एनटीपीसी ने बचाई जान, बंद किए जलग्रहण गेट
NTPC ने मानवीय संवेदना दिखाते हुए सतलुज के जलग्रहण गेट (water intake gates) को तुरंत बंद करने का निर्णय लिया। इस कदम से जलस्तर धीरे-धीरे कम होने लगा, जिससे राहत कार्य शुरू करना संभव हो सका। हालांकि इस निर्णय से कंपनी को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ, लेकिन human life को प्राथमिकता दी गई।
गांव के हीरो ने रस्सियों से की बच्चों की जान बचाई
जैसे ही पानी का स्तर कम हुआ, गांव के बहादुर निवासी राजेंद्र कुमार ने रस्सियों की मदद से बच्चों तक पहुंचने की कोशिश की। कड़ी मेहनत और साहस के साथ उन्होंने दोनों बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। इस daring rescue operation की पूरे क्षेत्र में सराहना हो रही है।
एनटीपीसी ने की घटना की पुष्टि, बताया नुकसान
NTPC प्रबंधन ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने बच्चों की जान बचाने के लिए हर जरूरी कदम उठाया। Company ने safety को प्राथमिकता दी, भले ही इसके लिए heavy financial loss क्यों न झेलना पड़ा हो।