Shrikhand Yatra: भक्तों के उत्साह के आगे नहीं टिकेगी श्रीखंड की बर्फ

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श्रीखंड में बर्फ नहीं रोक पाएगी भक्तों के कदम, कम मिलेंगे ग्लेशियर 18570 फुट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव के दर्शनों को जाने वाले भक्तों को इस बार पिछले वर्ष की अपेक्षा कम बर्फ और ग्लेशियर मिलेंगे। जबकि कुछेक स्थानों पर क्षतिग्रस्त रास्तों को सुधारने की बेहद आवश्यकता है।
श्रद्धालुओं के जोश और आस्था के सामने श्रीखंड की बर्फ भी नहीं टिक पाएगी। इस वर्ष की श्रीखंड यात्रा में बर्फबारी के बावजूद भारी संख्या में भक्तों के शामिल होने की उम्मीद है।
श्रीखंड यात्रा में इस बार कम बर्फ और ग्लेशियर मिलने की संभावना
18570 फुट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव के दर्शनों के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को इस वर्ष पिछले साल की तुलना में कम बर्फ और ग्लेशियर मिलेंगे। हालांकि, कुछ स्थानों पर खराब रास्तों की मरम्मत अत्यंत जरूरी है, ताकि यात्रा सुगम और सुरक्षित हो सके।

यात्रा मार्ग की रैकी कर लौटे दल ने सौंपी रिपोर्ट

श्रीखंड यात्रा जुलाई में शुरू होनी है। इससे पहले आठ सदस्यीय रैकी टीम ने यात्रा मार्ग का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट एसडीएम निरमंड मनमोहन सिंह को सौंप दी है। यह रिपोर्ट 3 जून को श्रीखंड महादेव यात्रा ट्रस्ट की बैठक में डीसी कुल्लू और ट्रस्ट चेयरमैन को दी जाएगी।

भीम डवारी और ब्राहटी नाला पर मरम्मत जरूरी

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वर्ष 31 जुलाई को बादल फटने के कारण भीम डवारी के पास रास्ता बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। वहां एक वैकल्पिक पुल और नया रास्ता बनाने की सख्त जरूरत है। ब्राहटी नाला के पास भी रास्ते की हालत ठीक नहीं है, जिसे यात्रा से पहले मरम्मत की आवश्यकता है।

पार्वती बाग से ऊपर तक रास्ता सुरक्षित

रिपोर्ट के अनुसार, पार्वती बाग से श्रीखंड महादेव की चोटी तक का रास्ता पूरी तरह सुरक्षित और ठीक पाया गया है। केवल कुछेक स्थानों पर मामूली मरम्मत की जरूरत बताई गई है ताकि श्रद्धालुओं को कोई कठिनाई न हो।

संयुक्त टीम ने किया कठिन पड़ावों का निरीक्षण

प्रशासन द्वारा गठित संयुक्त जांच टीम में पटवारी, वन रक्षक, जल शक्ति विभाग के कर्मचारी, पुलिस जवान और अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के दो पर्वतारोही शामिल थे। टीम ने सिंहगाड़, थाचडू, कुंशा, भीम डवारी और पार्वती बाग जैसे मुख्य पड़ावों और शिविर स्थलों का निरीक्षण किया।

मेडिकल जांच के बाद ही भक्तों को मिलेगी यात्रा की अनुमति

श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सिंहगाड़ में एक बेस कैंप स्थापित किया जाता है, जहां मेडिकल चेकअप के बाद ही उन्हें यात्रा के लिए पंजीकृत किया जाता है। करीब 35 किलोमीटर की इस पैदल यात्रा के दौरान 5 कैंपों में रेस्क्यू, मेडिकल, पुलिस और होमगार्ड की टीमें तैनात रहती हैं।

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