पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि भारत दुनिया के सबसे अमीर देशों में है, फिर भी आत्महत्याओं, भूख और बेरोजगारी का संकट गहराता जा रहा है। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण और गरीबी हटाने के लिए ठोस कदमों की जरूरत बताई।
आत्महत्याओं पर चिंता: पंचकूला हादसे से झकझके देश
पंचकूला में एक ही परिवार के सात सदस्यों की आत्महत्या की खबर ने पूरे देश को हिला दिया है। इस घटना ने आत्महत्या, मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक तंगी जैसे मुद्दों को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।
शांता कुमार का बयान: “अमीर भारत में क्यों भूखे लोग?”
पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा:
“भारत विश्व के 193 देशों में चौथे सबसे अमीर देशों में है, लेकिन यहां दुनिया के सबसे अधिक भूखे और गरीब लोग भी रहते हैं।”
उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि:
- 2023 में 1.87 लाख आत्महत्याएं भारत में हुईं
- इनमें से 15,000 आत्महत्याएं छात्रों द्वारा की गईं
- आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक तंगी है
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति
हर साल आने वाली Global Hunger Index रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग चिंता का विषय बनी हुई है। देश में करोड़ों लोग भुखमरी की स्थिति में रह रहे हैं, जो एक अमीर और उभरती महाशक्ति के लिए विरोधाभास जैसा लगता है।
जनसंख्या नियंत्रण पर भी उठाए सवाल
शांता कुमार ने बढ़ती जनसंख्या को गरीबी और बेरोजगारी की जड़ बताया। उनका कहना था:
“अगर भारत ने आबादी को 100 करोड़ तक सीमित किया होता, तो आज न गरीबी होती, न बेरोजगारी।”
उन्होंने चीन जैसे देशों का उदाहरण देते हुए सख्त जनसंख्या नियंत्रण नीति लागू करने का सुझाव भी दिया।
पीएम मोदी से उम्मीदें: “अंत्योदय से हो सकता है समाधान”
उन्होंने 1977 की अपनी अंत्योदय योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी भी इस योजना के मॉडल से गरीबी और भूख के कलंक को समाप्त कर सकते हैं।
“मोदी जी के नेतृत्व में एक नया संपन्न भारत उभर रहा है, जो जनसंख्या विस्फोट को भी नियंत्रित करेगा।”
निष्कर्ष: अमीरी के साथ जिम्मेदारी भी ज़रूरी
भारत जब आर्थिक और सैन्य शक्ति के रूप में उभर रहा है, तो उसे सामाजिक न्याय, भूख, और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को भी प्राथमिकता देनी होगी।