हिमाचल में योजनाओं की अनस्पेंट मनी की पड़ताल खुद सीएम सुक्खू करेंगे। 21 मई को बड़ी बैठक बुलाई गई है। अनुमान है कि यह राशि 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।
योजनाओं की अनस्पेंट मनी बनी सरकार की चिंता
हिमाचल प्रदेश सरकार के सामने इन दिनों एक बड़ा सवाल है — विभागों के पास पड़ी योजनाओं की अप्रयुक्त राशि (Unspent Money) का। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को हाल ही में इस मामले की जानकारी मिली, जिसके बाद बिलासपुर रेललाइन फंड विवाद सामने आया और मामला गरमा गया।
सरकार ने विधानसभा में इस मुद्दे पर कुछ आंकड़े रखे, लेकिन अब इस विषय में पूरी स्पष्टता लाने के लिए मुख्यमंत्री ने एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है।
बैठक: 21 मई, मंगलवार | सभी विभागीय सचिव और अधिकारी तलब
मुख्यमंत्री सुक्खू की ओर से बुलाई गई इस बैठक में निम्न अधिकारी शामिल होंगे:
सभी विभागीय सचिव
वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारी
संयुक्त सचिव और योजना प्रभारी
बैठक का उद्देश्य है यह जानना कि:
किस विभाग के पास योजना के तहत मिली राशि खर्च नहीं हुई
वह रकम किस बैंक खाते में है
कितना पैसा ब्याज के साथ जमा है
वित्त विभाग ने दिए निर्देश: पैसा बैंकों से निकाल ट्रेजरी में जमा हो
वित्त विभाग ने कई विभागाध्यक्षों से सीधे बातचीत कर सूचना एकत्र की है। इसके आधार पर निर्देश जारी किए गए कि:
विभागों को अपने बैंक खातों से वह राशि निकालकर राजकोष (ट्रेजरी) में जमा करनी होगी
इस प्रक्रिया की निगरानी स्वयं मुख्यमंत्री करेंगे
दिल्ली दौरे पर सीएम: केंद्र से योजनाओं में सहयोग की उम्मीद
सीएम सुक्खू दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से भी मुलाकात करेंगे, ताकि:
हिमाचल के लंबित विकास कार्यों के लिए सहयोग मिल सके
केंद्र से जुड़ी योजनाओं को आगे बढ़ाया जा सके
वित्तीय सहायता को गति दी जा सके
इसके लिए सभी विभागों से रिपोर्ट मंगवाई जा चुकी है।
कितना पैसा जमा है बैंकों में? अनुमान: 12,000 करोड़ से अधिक
सरकारी अनुमानों में कहा जा रहा है कि यह राशि 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो सकती है। यह पैसा:
योजनाओं के लिए दिया गया था
समय पर खर्च नहीं हुआ
बैंकों में जमा है, कुछ पर ब्याज भी बन रहा है
इस राशि के उपयोग से राज्य की आर्थिक स्थिति को स्थिर किया जा सकता है।
वित्तायोग से भी उठेगा हिमाचल का पक्ष
सीएम की 23 मई को वित्तायोग अध्यक्ष से मुलाकात संभावित है, जिसमें वह:
हिमाचल को पूर्व वित्त आयोग की सिफारिशों से हुए नुकसान का विवरण देंगे
भविष्य में उचित राज्य हिस्सेदारी और समर्थन की मांग करेंगे निष्कर्ष: सख्ती और पारदर्शिता की ओर बढ़ रही सरकार
राज्य सरकार अब योजनागत फंड की निगरानी और उचित उपयोग को प्राथमिकता दे रही है। मुख्यमंत्री खुद निगरानी की जिम्मेदारी ले रहे हैं ताकि एक-एक पैसे का सदुपयोग हो सके।