पूर्व मंत्री बिक्रम ठाकुर ने हिमाचल की कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री न केवल ईमानदार अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं, बल्कि न्यायपालिका को भी चुनौती दे रहे हैं।
बिक्रम ठाकुर का बड़ा हमला – “CM को न अफसरों पर भरोसा, न न्यायपालिका पर”
हिमाचल प्रदेश में कानून-व्यवस्था और ईमानदारी पर बड़ा सवाल उठाते हुए जसवां परागपुर से विधायक और पूर्व मंत्री बिक्रम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री पर तीखा हमला बोला है।
संवैधानिक संस्थाओं को चुनौती?
ढलियारा में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने judiciary जैसी संवैधानिक संस्था को खुली चुनौती दी है, जो लोकतंत्र की बुनियाद के लिए बेहद खतरनाक संकेत है।
ओंकार शर्मा केस: सच्चाई की सजा मिल रही है
बिक्रम ठाकुर ने विमल नेगी मामले का ज़िक्र करते हुए कहा कि ईमानदार अधिकारी ओंकार शर्मा को छुट्टी पर भेजना इस बात का सबूत है कि सरकार सच्चाई दबाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री ने खुद फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन जब शर्मा ने निष्पक्ष रिपोर्ट अदालत को सौंपी, तो उस पर सवाल उठाए गए। CM चाहते थे कि उन अफसरों का पक्ष भी रिपोर्ट में शामिल किया जाए जिन पर परिवार ने ही आरोप लगाए थे।
अफसरों का सरकार पर से उठता भरोसा
ठाकुर ने पूछा – जब एक अधिकारी रिपोर्ट सीधे अदालत को देता है, तो क्या यह सरकार के महाधिवक्ता पर अविश्वास नहीं दर्शाता? उन्होंने कहा कि यह deep mistrust in the system को दर्शाता है, जहाँ अफसरों को लगता है कि सरकार रिपोर्ट को दबा सकती है।
मीडिया और विपक्ष पर दबाव का आरोप
बिक्रम ठाकुर ने एसपी संजीव गांधी की प्रेस वार्ता का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने मीडिया, विपक्ष और आलोचकों को दबाने की पूरी कोशिश की है। गांधी ने भी कहा कि प्रशासन में उच्च स्तर से हस्तक्षेप किया जा रहा है।
निष्कर्ष: लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी?
पूर्व मंत्री के आरोप हिमाचल की राजनीति में एक नए मोड़ की ओर इशारा करते हैं, जहाँ ईमानदार अधिकारियों का हाशियाकरण और न्यायपालिका के प्रति अपमान लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा बन सकता है।