हिमाचल प्रदेश के विकास में केंद्रीय उपक्रमों की भूमिका: राज्य को मिलेगा बड़ा फायदा

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हिमाचल प्रदेश सरकार ने लूहरी, सुन्नी और धौलासिद्ध परियोजनाओं को अपने अधीन लेने का बड़ा फैसला लिया है, जिससे राज्य के विकास की दिशा में नए कदम उठाए जा रहे हैं। आर्थिक संकट के बावजूद सरकार ने इस कदम को आगे बढ़ाया है, जबकि एसजेवीएनएल ने परियोजनाओं पर 3400 करोड़ रुपए खर्च होने का दावा किया है। सरकार इस दावे की जांच के लिए मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू करेगी। केंद्र सरकार भी इसमें शामिल है क्योंकि उसकी हिस्सेदारी इन परियोजनाओं में है। सरकार को भारी खर्च और कानूनी जटिलताओं का सामना करना पड़ेगा, लेकिन यह कदम बिजली क्षेत्र में नई उपलब्धियां हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

आर्थिक संकट के बावजूद सरकार ने उठाया बड़ा कदम

हिमाचल प्रदेश सरकार ने आर्थिक संकट के बावजूद लूहरी, सुन्नी और धौलासिद्ध परियोजनाओं को अपने अधीन लेने का फैसला किया है, जिससे राज्य के विकास की दिशा में नए कदम उठाए जा रहे हैं।

एसजेवीएनएल का दावा और सरकार की जांच प्रक्रिया

सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) ने इन परियोजनाओं पर 3400 करोड़ रुपए खर्च होने का दावा किया है, जबकि सरकार का कहना है कि इसमें लगभग 1400 करोड़ रुपए का ही खर्च हुआ है। अब इस पर मूल्यांकन करवाया जाएगा।

केंद्र सरकार की भागीदारी और उसके प्रभाव

केंद्र सरकार भी इस मामले में जुड़ी हुई है क्योंकि उसकी हिस्सेदारी इन परियोजनाओं में है। यदि ये परियोजनाएं राज्य सरकार के पास आती हैं, तो केंद्र सरकार की कमाई पर असर पड़ सकता है।

भारी खर्च और कानूनी जटिलताएं

परियोजनाओं को अधिग्रहण करने के लिए सरकार को भारी खर्च उठाना पड़ेगा। इसके लिए अदालत का रुख भी अपनाया जा सकता है, क्योंकि पूर्व सरकार ने इन परियोजनाओं के लिए इंप्लीमेंटेशन एग्रीमेंट नहीं किए थे।

आगे की रणनीति: दोनों पक्षों के बीच बातचीत

अब दोनों पक्षों के अधिकारियों के बीच वार्ता होगी, जिसमें केंद्र सरकार के ऊर्जा सचिव को भी जानकारी दी जाएगी। सरकार का उद्देश्य बिजली क्षेत्र में नई उपलब्धियां हासिल करना है।

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