हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा जिला कांगड़ा राज्य सरकार बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देता रहा है, और इस बार भी जिले ने 10 विधायक भेजकर सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई। प्रदेश सरकार के दो साल पूरे होने के बाद और जिले के दो सीपीएस के हटने के बाद कांगड़ा जिले की मंत्री पद के लिए दावेदारी और मजबूत हो गई है। कांगड़ा से आशीष बुटेल, किशोरी लाल, संजय रतन, और भवानी पठानिया जैसे विधायक दूसरी बार विधानसभा पहुंचे हैं, जिनकी मंत्री बनने की उम्मीदें तेज हैं।
कांगड़ा जिले में दो मंत्री पहले से हैं—चौधरी चंद्र कुमार और यादविंद्र गोमा, लेकिन अब मंत्रिमंडल में एक स्थान खाली है, और दो मंत्रियों को बदलने की भी चर्चाएँ हैं। देहरा जिले का अभी तक सरकार में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जिससे ज्वालामुखी के विधायक संजय रतन की दावेदारी और मजबूत हो गई है। नूरपुर जिले से भवानी पठानिया, जो राज्य योजना बोर्ड के कैबिनेट रैंक उपाध्यक्ष हैं, उनकी दावेदारी भी प्रबल मानी जा रही है।
आशीष बुटेल और किशोरी लाल, जो पूर्व सीपीएस रहे हैं, भी सरकार में नए ओहदे की उम्मीद कर रहे हैं। प्रदेश में संगठनात्मक बदलाव के साथ कांगड़ा जिले की दावेदारी अब और भी बड़ी हो गई है, और जिन नेताओं को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिलेगा, उन्हें पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ दी जा सकती हैं।