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ईशांत भारद्वाज के लोकगीत: आवाज जो रूह में उतर जाती है

"ईशांत भारद्वाज के लोकगीत

ईशांत भारद्वाज आज लोकगायकी के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम बन चुके हैं। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, चंबा, हमीरपुर और ऊना में उनके गीतों की गूंज सुनाई देती है। ईशांत ने अपने करियर की शुरुआत नौवीं कक्षा के बाद की, जब उन्होंने जागरण म्युजिक ग्रुप के माध्यम से संगीत की बारीकियां सीखी। अपने पहले हिट गीत ‘निक्की जिणी गोजरी’ के बाद, मात्र चार साल में उन्होंने 50 से अधिक सुपरहिट गीत दिए हैं, जिनमें से 30 गीत उन्होंने खुद लिखे और गाए हैं।

ईशांत का यूट्यूब चैनल ‘ईशांत भारद्वाज ऑफिसियल’ तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, जहां उनके चार लाख से अधिक सब्सक्राइबर और 20 मिलियन से अधिक व्यूज वाले कई गीत हैं। ईशांत का जन्म 21 अप्रैल, 1989 को कांगड़ा के शाहपुर में हुआ। उन्होंने अपनी आरंभिक पढ़ाई के बाद, विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया और संगीत में रुचि विकसित की। 2021 में उन्होंने अपना पहला शिव भजन ‘संजड़ी’ रिलीज किया, लेकिन वास्तविक सफलता 2022 में आई जब उनका गीत ‘निक्की जिणी गोजरी’ ने धूम मचा दी।

ईशांत ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता-पिता, सरस्वती मां और अपने दर्शकों को दिया है, जिन्होंने उन्हें प्यार और समर्थन दिया। आज, वे न केवल एक प्रतिभाशाली गायक हैं, बल्कि एक सफल कंपोजर और गीत लेखक भी हैं।

 

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